Albert Einstein ki real story

अल्बर्ट आइंस्टाइन मानव इतिहास के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति थे जो कि बीसवीं सदी के प्रारंभिक 20 वर्षों तक विश्व के विज्ञान जगत पर छाए रहे उन्होंने अपनी खोजों के आधार पर अंतरिक्ष समय और गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत थे दोस्तों वह इतने लोकप्रिय और महान पुरुष थे कि जब भी वह बाहर जाते घूमने निकलते तो लोगों ने सड़क पर रोक कर उनकी दिए गए सिद्धांत की व्याख्या पूछने लगते हैं जिसके चलते उन्होंने इस निरंतर पूछता से बचने के लिए एक तरीका निकाला जिसमें वह सब लोगों से कहते कि माफ कीजिए मुझे लोग अक्सर प्रोफेसर आइंस्टाइन समझ लेते हैं पर वह मैं नहीं हूं
दोस्तों वह हमेशा कहते थे कि मेरे अंदर कोई खास गुण नहीं हैमैं तो केवल एक ऐसा व्यक्ति हूं जिसमें जिज्ञासा कूट-कूट कर भरी हुई है लेकिन दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी कि अल्बर्ट आइंस्टाइन हमेशा से इतने बुद्धिमान नहीं थे बल्कि उनके बचपन में तो पढ़ाई में बहुत कमजोर होने की वजह से उनको मंदबुद्धि भी कहा जाने लगा था है ना यह कितनी हैरान कर देने वाली बात लेकिन यह तो कुछ भी नहीं है क्योंकि इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी बातें हैं जिन्हें जानकर आप आश्चर्य से भर जाओगे तो अगर आप सच में जानना चाहते हैं तो कि कैसे अल्बर्ट आइंस्टाइन एक मंदबुद्धि बालक से इस सदी के सबसे जीनियस वैज्ञानिक बने तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के एक वृद्धि दीवार में हुआ था उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टाइन और मां का नाम होली आइंस्टाइन था और दोस्तों जब वह पैदा हुए थे तो उनके अंदर एक ऐसी अनोखी चीज थी जो उनको किसी भी सामान्य बच्चे से अलग बनाती थी क्योंकि उनका शहर किसी भी सामान्य बच्चे से कहीं ज्यादा बढ़ा था वह जैसे-जैसे थोड़े बड़े होने लगे तो उनको शुरु-शुरु में बोलने में भी कठिनाई होती थी और लगभग 4 साल तक अल्बर्ट आइंस्टाइन कुछ भी नहीं बोल पाए मगर एक दिन जब वह अपने माता पिता के साथ रात के खाने पर बैठे थे तो उन्होंने अपनी 4 साल की चुप्पी तोड़ते हुए कहा शुब बहुत गर्म है अपने बेटे के इस तरह घूमने से उनके माता-पिता हैरान हो गए और बहुत खुश हुए और
दोस्तों बचपन में आइंस्टाइन को अपने उम्र के बच्चों के साथ खेलना बिल्कुल पसंद नहीं था और उन्होंने अपनी ही एक अलग दुनिया बना रखी थी क्योंकि वह हमेशा पेड़ पौधे और इस ब्रह्मांड के बारे में सोचते रहते थे उनके मन में हमेशा यह बातें रहते थे कि आखिर यह दुनिया कैसे चलती है दोस्तों आइंस्टाइन के अंदर विज्ञान के प्रति रूचि तब पैदा हुई जब उनकी उम्र 5 साल की थी और उनके पिता ने उन्हें मैग्नेटिक कंपास ला कर दिया था जिसे देखकर इंस्टैंट बहुत खुश हुए लेकिन जब उस मैग्नेटिक कंपास की सुई हमेशा उत्तर दिशा की तरफ रहती तो उनके दिमाग में हमेशा के सवाल आते थे कि ऐसे कैसे होता है और क्यों होता है दोस्तों अपने बोलने की कठिनाई के कारण उन्होंने स्कूल जाना बहुत बाद में शुरू किया और आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्हें स्कूल एक जेल की तरह लगता था क्योंकि उनके अध्यापकों द्वारा बनाई गई चीजें आधी अधूरी होती थी वह समझने से ज्यादा किताबें ज्ञान को रखना सिखाते थे और इसीलिए वह अपने अध्यापकों से अजीब-अजीब से सवाल पूछा करते थे जिसकी वजह से आइंस्टाइन को अध्यापकों ने मंदबुद्धि भी कहना शुरू कर दिया था और दोस्तों बार-बार मंदबुद्धि कह जाने के कारण आइंस्टाइन को यह एहसास होने लगा कि उनकी बुद्धि अभी तक विकसित नहीं हुई है और इसीलिए एक बार उन्होंने अपने अध्यापक से पूछा कि मैं अपने बुद्धि का विकास कैसे कर सकता हूं और इस सवाल पर अध्यापक ने एक लाइन में कहा अभ्यास ही सफलता का मूलमंत्र है दोस्तों आइंस्टाइन के अध्यापक की यह बात उनके मन में फैल गई और उस दिन से उन्होंने एक दिन निश्चय कर लिया 13 सबसे आगे बढ़कर दिखाएंगे और उस दिन के बाद आगे बढ़ने की इच्छा है हमेशा उन पर हावी रहती थी अगर पढ़ने में मन नहीं लगता था फिर भी किताब हाथ से नहीं छोड़ते थे वह हमेशा अपने मन को समझाते और वापस पड़ने लगते और दोस्तों कुछ ही समय में उनके अभ्यास का सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगा जिसे देखकर उनके अध्यापक ने इस विकास से दंग रह गए और आगे चलकर उन्होंने अध्ययन के लिए गरीब जैसे जटिल विषय को चुना लेकिन दोस्तों आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से उनकी आगे की पढ़ाई में थोड़ी समस्या हुई दोस्तों अशोक और मौत पर एक पैसा भी खर्च नहीं करते थे
 चलिए मैं आपको इस बात से जुड़े बहुत मशहूर किस्सा उनके बारे में सुनाता हूं 1 दिन की बात है जब बहुत तेज बारिश हो रही थी और अल्बर्ट आइंस्टाइन अपनी हाइट को बगल में दबाए वह जल्दी-जल्दी घर जा रहे थे और छाता ना होने के कारण और वह भी भी गए थे तभी हमसे रास्ते में एक सज्जन मिले जिन्होंने उनसे पूछा कि भाई इतनी तेज बारिश हो रही है एक से सिर को ढकने की बजाए तुम उसे कोर्ट में दबा कर चले जा रहे हो क्या तुम्हारा सर भेज नहीं रहा है दोस्तों इस बात पर आइंस्टाइन नहीं कहा देख तो रहा है परंतु बाद में सूख जाएगा लेकिन हेड किला हुआ तो खराब हो जाएगा और नया हेड खरीदने के लिए ना तो मेरे पास पैसे हैं और ना ही समय दोस्तों अपनी कठिनाई परिश्रम और अभ्यास की मदद से आइंस्टाइन ने गणित और भौतिक विज्ञान में महारत हासिल कर ली और दोस्तों शिक्षा को लेकर उनका विचार था कि शिक्षा वह है जो आपको तब भी याद रहे जब आप सब कुछ भूल गए हो जो आपको याद नहीं और समय के साथ-साथ वह इतने बुद्धिमान हो गए कि उन्होंने बहुत सारे अद्भुत खोज की आज की दुनिया थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी शिक्षण के सिद्धांत और द्रव्यमान ऊर्जा समेत ग्रहण ए स्क्वायर MC स्क्वायर के नाम से जानती है दोस्तों उन्हें सिद्धांतिक भौतिकी खासकर प्रकाश विद्युत जयदेव खोज के लिए सन 1921 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया और सन 1952 में अमेरिका ने आइंस्टाइन को इजराइल का राष्ट्रपति पेशकश के परंतु आइंस्टाइन ने उनका प्रस्ताव यह कहकर ठुकरा दिया कि वह राजनीतिक के लिए नहीं बनाया दोस्तों हमने दिखा दिया एक मंदबुद्धि लड़का अपनी मेहनत लगन और परिश्रम केबल पर संसार में कुछ भी कर सकता है दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन इतना बुद्धिमान थे कि वह अपने माइंड में किसी रिसर्च को सोचकर पूरा प्लान कर लेते थे जो उनके लैब के प्रयोग से ज्यादा सटीक होता था और इसीलिए अल्बर्ट आइंस्टाइन हिस्ट्री के सबसे जीनियस व्यक्ति कहलाए और इसीलिए उनके जन्मदिन 14 मार्च जीनियस डे के रूप में बनाया जाता है लेकिन दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन का यह मानना था कि प्रत्येक इंसान जिसने धरती पर जन्म लिया है वह जीनियस है लेकिन यदि आप किसी मछली को उसे पेड़ पर चढ़ने की योग्यता सिखाएं तो वह अपनी पूरी जिंदगी यह सोचकर जिएगी कि वह मूर्ख है दोस्तों निजी गतिविधियों के कारण आइंस्टाइन को जर्मनी छोड़कर अमेरिका में शरण लेनी पड़ी वहां उन्हें बड़े-बड़े विश्वविद्यालय में अपने यहां आचार्य का पद देने के लिए आमंत्रित किया लेकिन दोस्तों आइंस्टाइन ने विश्वविद्यालय को उसके शांत और बौद्धिक वातावरण के कारण चुन लिया और जब आइंस्टाइन पहली बार पेंशन पहुंचे तो वहां के प्रशासनिक अधिकारी ने उनसे कहा आप प्रयोग के लिए आवश्यक उपकरणों की सूची दे दीजिए ताकि आपके कार्य के लिए उन्हें जल्दी ही उपलब्ध कराया जा सके दोस्तों इस बात पर आइंस्टाइन नहीं बड़ी ही सहजता से कहा कि आप मुझे केवल एक ब्लैकबोर्ड कुछ जोक कागज और पेंसिल दे दीजिए यह सुनकर अधिकारी हैरान हो गया और इससे पहले कि वह कुछ और कहता हम स्टैंड निकाल और हां एक बड़ी टोकरी भी दे देना ताकि वह अपना काम करते समय बहुत सारी गलतियां भी करता हूं और छोटी टुकड़ी बहुत जल्दी रद्दी से भर जाती है दोस्तों आइंस्टाइन गलतियां करने से कभी नहीं डरते थे क्योंकि उनका कहना था जिस व्यक्ति ने कभी कोई गलती नहीं की उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन बहुत अलग अलग तरह से प्रयोग करते थे उनके प्रयोग करने का हर अंदाज एक दूसरे से बहुत अलग होता था क्योंकि वह कहते थे सबसे बड़ा पागलपन है एक ही चीज को बार बार करना और हमेशा अलग परिणाम की आशा करना दोस्तों अभी तक मैंने अल्बर्ट आइंस्टाइन के बारे में वह सब बातें बताएं जिनसे पता चलता है कि वह कितने महान वैज्ञानिक थे
लेकिन दोस्तों अब जो मैं आपको बताने जा रहा हूं उसको सुनकर आप चौक जायेंगे क्योंकि हमारे जीनियस नंबर वन की याददाश कुछ खास अच्छी नहीं थी उन्हें डेट्स और फोन नंबर याद रखने में बहुत मुश्किल होती थी यहां तक की जब एक बार आइंस्टाइन के एक सहकर्मी ने उनसे उनका टेलीफोन नंबर पूछा तो आइंस्टाइन पास रखी टेलीफोन डायरेक्टरी में अपना नंबर ढूंढने में लगे सहकर्मी ने चकित होकर पूछा आपको अपना खुद का टेलीफोन नंबर भी याद नहीं है तो आइंस्टाइन ने कहा नहीं भला मैं ऐसे किसी भी चीज को क्यों याद रखो जो मुझे किताब में ढूंढने से आसानी से मिल जाती है दोस्तों अल्बर्ट आइंस्टाइन व्यवहारिक दुनिया की भी बहुत सी बातें भूल जाया करते थे चलिए इससे जुड़े कुछ किस्से मैं आपको सुनाता हूं पहला किस्सा एक बार की बात है जब आइंस्टाइन वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में कार्यरत है तो 1 दिन यूनिवर्सिटी से घर वापस आते समय वह अपने घर का पता ही भूल गए यद्यपि अधिकतर लोग आइंस्टीन को पहचानते थे लेकिन जिस टैक्सी में वह बैठे थे उसका ड्राईवर उन्हें नहीं पहचानता था आइंस्टाइन ने ड्राइवर से कहा क्या तुम्हें आइंस्टाइन का पता मालूम है ड्राइवर ने जवाब दिया क्रिस्टल में भला कौन उनका पता नहीं जानता यदि आप उनसे मिलना चाहते हैं तो मैं आपको उनके घर पहुंचा सकता हूं तब आइंस्टाइन ने ड्राइवर को बताया कि वह स्वयं ही आइंस्टाइन है और वह अपने घर का पता भूल गए हैं यह जानकर ड्राइवर ने उन्हें उनके घर तक पहुंचाया और आइंस्टाइन के बार-बार आग्रह करने के बावजूद भी टैक्सी का किराया नहीं लिया
दूसरा किस्सा एक बार आइंस्टाइन इंस्टंट से कहीं जाने के लिए ट्रेन से सफर कर रहे थे लेकिन जब टिकट चेकर उनके पास आया तो वह अपनी टिकट बनाने के लिए जेबीटी लगे और जेब में टिकट ना मिलने पर उन्होंने अपने सूटकेस को चेक किया सूटकेस में भी टिकट नहीं मिला तो वह अपनी सीट के आसपास खोजने लगे दोस्तों टिकट चेकर आइंस्टाइन को अच्छी प्रकार से पहचानता था इसलिए उसने उनसे कहा यदि आप से टिकट गुम हो गई है तो कोई बात नहीं मुझे विश्वास है आपने क्रिकेट जरूर खरीदी होगी और यह कहकर चेक कर दूसरे यात्रियों की टिकट चेक करने लगा लेकिन जब उसने देखा किसान स्टैंड अपनी सीट के नीचे अभी तक टिकट ढूंढ रहे हैं तब चेक करने फिरसे हमसे कहा कि वह टिकट के लिए परेशान ना हो उनसे टिकट नहीं मांगा जाएगा लेकिन दोस्तों चेकर की यह बात सुनकर आइंस्टाइन ने कहा पर टिकट के बिना मुझे पता कैसे चलेगा कि मैं जा कहां रहा हूं दोस्तों 18 अप्रैल सन 1955 को महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के 76 साल की उम्र में अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में मृत्यु हो गई अपने पूरे जीवनकाल में आइंस्टाइन ने सैकड़ों किताबें और लेख प्रकाशित किए उन्होंने 300 से अधिक वैज्ञानिक और 150 गैर वैज्ञानिक शोध प्रकाशित किए दोस्तों आज हम विज्ञान केजीएन आविष्कारों का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर रहे हैं और इंटरनेट सेटेलाइट के द्वारा जो हमें प्राप्त हो रही है उन सभी आविष्कारों में अल्बर्ट आइंस्टाइन का महान योगदान है यहां तक कि उनके दिए गए अनेक को सिद्धांतों की वजह से आज मैं नहीं आविष्कार संभव हो पा रहे हैं लेकिन दोस्तों आइंस्टाइन को अपने जीवन में सबसे ज्यादा दुख तब हुआ था जब उनके वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण बाद में परमाणु बम का आविष्कार हुआ जिससे कि हिरोशिमा और नागासाकी जैसे देश दोस्त हो गए थे दोस्तों आइंस्टाइन की मृत्यु के बाद उनके शॉप पर से एक करोड़ वैज्ञानिक ने आइंस्टाइन के परिवार को अनुमति के बिना उनका दिमाग निकाल लिया था और यह कार्य डॉक्टर थॉमस हार्वे ने गेहूं के दिमाग पर रिसर्च करने के लिए किया था उनका दिमाग 20 सालो तक 14 में बंद रहा और सन 1975 में उनके बेटे हैं उसकी आज्ञा से उनके दिमाग को 240 हिस्सों में बांटकर अनेक अनेक विज्ञानिकों के पास भेजा गया जिन को जांचने के बाद उन्होंने पाया कि उनके दिमाग में किसी भी आम इंसान से ज्यादा सेल्स मौजूद थे तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही

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