Dr. APJ abdul kalam story in hindi
क्या आने वाले वीडियो को हम यह कह पाएंगे कि हमने डॉक्टर कलाम को देखा था कैटरीना देश के जो हालात हैं जिन स्थितियों में देश यह गुजर रहा है कोई एक शख्स कुछ इस तरीके से ख्वाब लिए चलता है और उसके जरिए जिंदगी जीता है कि लगता वाकई है कि यह सब कुछ ख्वाब ही तो है तो कलाम साहब के बहाने कहानियां सपने उनके उड़ान उम्मीद या फिर परवाज देने वाले हौसले जो कहिए उनकी कामयाबी के किस्से कौन नहीं जानता मगर उन कामयाबी हो के पीछे क्या दास्तां थी संघर्ष की शादी की के गजब के समर्थन कलाम साहब हमारे बीच नहीं मगर यह किस्से इंसानी नस्ल के लिए सदियों तक प्रेरणा देने वाले हैं आइए मिसाइल मैन और पीपल प्रेसिडेंट के जाने वाले अब्दुल कलाम के जिंदगी की यह पहली जानते हैं
वह अपनी दास्तां कहते-कहते सो गए उस चिरनिद्रा में जिसमें पलकें फिर नहीं खुलती वह आगे जो सिर्फ सपने नहीं देखती थी उन्हें हकीकत के जमीन पर गिरने का हुनर सिखाते थेवह हमेशा के लिए बंद हो गए पर सपनों की उड़ान आखरी सांस तक नहीं थमी उड़ान एक लफ्ज़ में कहें तो यही कलाम साहब के जिंदगी का फ़लसफ़ा था साइंस से लेकर सपने तक का एक ही व्याख्यान तुम जैसे सपने देखोगे वैसे ही बन जाओगे शुरुआत होती है सपनों की इसी उड़ान से जानने की यह जिज्ञासा से जो आगे चलकर विज्ञान की उड़ान को नई दिशा देने वाली थी वह उड़ान थी चिड़ियों की तब पांचवी क्लास में पढ़ते थे अब्दुल कलाम आसमान में चिड़ियों को उड़ते देखना उन्हें खूब भाता था एक दिन क्लास में टीचर से पूछ बैठे आखिर यह चिड़िया उड़ती कैसे है सवाल बहुत सहज था हर किसी के मन में उठता है मगर इसका जवाब कोई नहीं दे पाएगा वह टीचर थे सुब्रमण्यम अय्यर जिनका जिक्र कलाम साहब अक्सर करते थे एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आने की की प्रेरणा उन्हें वही बताते थे कलाम साहब के मुताबिक उनके सवाल का जवाब समझाने के लिए सुब्रमण्यम पूरी क्लास के बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए और उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर पूरी तकनीक
बताएं इसके पीछे पक्षियों की शरीर की बनावट भी विस्तार से बताएं 10 दिन सिर्फ अपने सवाल का जवाब नहीं मिला बल्कि मासूम आंखों को एक सपना भी मिल गया उड़ान का सम्मोहन उनके जिंदगी में हमेशा हमेशा के लिए बस गया लेकिन वह सपना सच कैसे होता हालात तो ऐसे थे कि पतंग भी बड़ी मुश्किल से उड़ाने को मिलती थी सात भाई बहनों में अपने मां-बाप के दुलारे तो बहुत तेज अब्दुल कलाम लेकिन घर की माली हालत ऐसी दो वक्त के खाने की भी चिंता रोज रहती नन्हे कलाम को रोटियां खाना बेहद पसंद था जबकि उस इलाके में चावल की फसल ज्यादा होती थी लेकिन मां उनके लिए दो रोटियों का इंतजाम रोज कर देती एक दिन मैंने अपने हिस्से की रोटी उन्हें परोसती अब्दुल कलाम को यह बात भाई से पता चली तो बेहद भावुक हुए मां से पहले खाना होने फिर भी गवारा नहीं हुआ 10:00 12 साल के होते होते अब्दुल कलाम को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास पूरा हो गया था पिता जैनुल अब्दुल पेशे से नाविक थे रामेश्वरम आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नाव किराए पर देते थे लेकिन चक्रवात में वह नाव भी टूट गई पढ़ाई जारी रखने के साथ घर मैं कैसे बने रहे इसके लिए साइकिल से अखबार बेचते थे इसी दौरान वह पूरा अखबार भी पड़ जाते पढ़ने की ललक इतनी कि रोज सुबह 4:00 बजे ही उठ जाते और नहाकर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाते सुबह सुबह ना आने की वजह यह थी गणित के शिक्षक उन्हें 5 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे जो सुबह 4:00 बजे नहा कर आते थे 5:00 बजे ट्यूशन से लौटने के बाद अब्दुल कलाम घर से 3 किलोमीटर दूर धनुषकोडी रेलवे स्टेशन जाते वहां से अखबार ले आते और घूम घूम कर बेचते अखबार बेचने के बाद तैयार होकर स्कूल जाते शाम को लौटते अखबार के पैसों की वसूली के लिए जाते थकान को कभी अपने सपनों के आगे आने ही नहीं दिया जब मैं घर घर अखबार बैठकर वापस आता था तो मां के हाथ का नाश्ता तैयार मिलता पढ़ाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी मां ने मेरे लिए एक छोटा सा लैंप खरीदा था जिससे मैं रात को 11:00 बजे तक पड़ सकता था पढ़ाई के साथ पक्षियों की उड़ान से जगह सतना हमें हमेशा युवा अब्दुल कलाम मैं करता रहा सब वही एयर फोर्स में भर्ती होना चाहते थे ख्वाहिश थी पायलट बनने ने की लेकिन यह पूरी नहीं हुई भर्ती 8 लोगों की होनी थी लेकिन टेस्ट में अब्दुल कलाम का नंबर नवा आया सपना पूरा नहीं हुआ मगर उस नाकामयाबी के बाद भी उड़ान का जोश दोगुना हो गया आप की पीढ़ी से पूछिएगा तो कहेगा जी सपने तो देखने चाहिए लेकिन कलाम साहब कहते थे कि सपना वह नहीं जो नींद में आए बल्कि सपना तो वह है जो कि नींद ही ना आने दे युवा अब्दुल कलाम का सपना नींद का सपना नहीं जबकि जागती आंखों का सपना था एक ऐसा सच जिसके लिए संघर्ष चाहिए
पढ़ाई विज्ञान की लगन सब कुछ चाहिए मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी 3 रात तक जग कर अपनी विशेष पूरी करें ताकि उन्हें स्कॉलरशिप मिल सके स्थिति इतनी बार नहीं हैडिग्री मिली तो उसके बाद स्पेस साइंस की दिशा में बढ़ते हुए पर सवाल इतना भर नहीं है आसमान सामने खड़ा था लेकिन पांव जमीन से हिल नहीं रहे थे डॉक्टर कलाम का मतलब यही था बारिश में सभी चिड़िया बसेरा ढूंढती है फिल्म अकड़बाज पानी से बचने के लिए बादलों के ऊपर उड़ान भरता है कलाम साहब के फितरत में कुछ ही उपस्तिथि कुदरत विज्ञान की बुलंदियां इन्हीं दलीलों से हासिल की गई हौसले की उड़ान कुछ ऐसे ही तय की गई देश के पहले स्पेस लॉन्च वेहिकल से लेकर परमाणु परीक्षण और 5000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि मिसाइल तक कामयाबी आप तमाम है कलाम के पेशाब के नाम मगर इन्हें हासिल करने का जज्बा इंसानियत इच्छाशक्ति कि मिसाल बन गया शुरुआत होती है 1960 से जब युवा सपनों को आकार देने के लिए अब्दुल कलाम दिल्ली आए और रक्षा मंत्रालय के तकनीकीविकास और अनुसंधान विभाग जयपुर वरिष्ठ वैज्ञानिक का कार्यभार संभाला इस दौरान उन्होंने सेना के लिए छोटा हेलीकॉप्टर डिजाइन किया सुपर सोनिक लक्ष्य सैनिक विमान का ढांचा तैयार किया सपनों की उड़ान 1969 में नया मोड़ लेती है जब अब्दुल कलाम शिशुओं में देश के पहले स्पेस प्रोजेक्ट के लिए डायरेक्टर बनाकर भेजे गए तब अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान नया नया ही बना था अब्दुल कलाम के साथ तमाम वैज्ञानिक रॉकेट और प्रोजेक्ट के दूसरे सामान साइकिल और बैलगाड़ियों से ले जाते थे 70 के पुरे दशक में सपनों के लिए संघर्ष कुछ ऐसे ही चला राजा रमन्ना जैसे सीनियर के साथ वह पहले परमाणु परीक्षण के गवाह बने देश के पहले बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट के को डायरेक्ट किया कामयाबी की पहली उड़ान 1980 में भरी जब रोहिणी नाम का सेटेलाइट धरती की कक्षा के करीब विस्थापित कर दिया कलाम साहब की इस कामयाबी से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खासकर प्रभावित हुए निखिल एडवांस और प्राइवेट प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ कहा जाता है कैबिनेट ने उस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी लेकिन इंदिरा गांधी ने अब्दुल कलाम के मिसाइल प्रोजेक्ट के लिए सीक्रेट फंड का इंतजाम किया आज के अग्नि और समस्त जैसी मिसाइल उसी बुनियाद पर हिंदुस्तान का परचम लहरा देती है और दुनिया 11 और 13 मई सन 1998 का दिन कैसे भूल सकती है जब तमाम बंदिशों अमेरिका जैसे देशों के जासूसी सेटेलाइट के निगरानी के बावजूद भारत पोखरण में परमाणु टेस्ट करने मैं कामयाब रहा यह कलाम साहब के लिए काबिलियत थी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी तब कलाम साहब प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार थे हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें मंत्री बनने का ऑफर दिया था लेकिन कलाम साहब ने मना कर दिया उनकी सूचना तो देश को परमाणु ताकत के आधुनिक पहेलियों से लैस करने की थी मार्च 1998 में वह पूरे प्रोजेक्ट के साथ उनसे मिले और न्यूक्लियर मिसाइल के बारे में जानने काली हुई उसी मुलाकात में परमाणु परीक्षण को मंजूरी मिल गई प्रोजेक्ट का नाम दिया गया ऑपरेशन शक्ति कलाम का कोड नेम रखा गया मेजर पृथ्वीराज टेस्ट की तैयारी के साथ एक चुनौती और भी थी
अमेरिकी सैटेलाइट को फलक नहीं लगने देने की इसके लिए कलाम साहब अपनी टीम के साथ रात में काम करते पोखरण सैटेलाइट पर आने जाने के लिए अलग रास्तों का इस्तेमाल किया करते टेस्ट से पहले अमेरिका के जासूसी उपग्रह को गुमराह करने के लिए पोकरण से दूर इलाके में सेना की गतिविधियां बर्बादी ताकि जासूसी के ग्रहों का ध्यान उस तरफ चला जाए 11 मई को पहले टेस्ट और 13 मई को तीन और टेस्ट वह दुनिया को भनक तक नहीं लगी और जब लगी तब तक कलाम पूरे हिंदुस्तान की परमाणु शक्ति के नायक बन चुके थेरविंद्र नाथ टैगोर थे जिन्होंने महात्मा गांधी को महात्मा सबसे अलंकृत किया था लेकिन इस दौर में आप किस शब्द के साथ डॉक्टर कलाम का नाम जोड़ेंगे वह आप लोग ही तेज कीजिए लेकिन कामयाबियां उनके पीछे थे एक के बाद एक बढ़ती चली गई लेकिन के पास क्या था ना घर ना अपनी खरीदी गई जमीन ना कोई गाड़ी राष्ट्रपति बनने के बाद जो भी था वह दान में दे दिया दो सूटकेस के साथ राष्ट्रपति भवन आए थे और यूं ही चले गए देश के संविधानिक प्रमुख रहे शख्स के चिंता संबंधी में सादगी की मिसाल किस रूप में कैसे चलती चली गई देखिए जरा हिंदुस्तान की सामरिक ताकत और अंतरिक्ष में तकनीकी उड़ान के नायक अब्दुल कलाम जब देश के राष्ट्रपति बने तब चर्चा एक ही थी मिसाइल मैन की सादगी देश के लिए समर्थन तो दुनिया पहले ही देख चुकी थी सुर्खियों में 3 साल की वह सादगी उनकी पूरी शख्सियत में लिख दी थी मगर यह कहानी तब शायद ही किसी को पता चले जब राष्ट्रपति बने तो दो सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन में आए थे
वह अपनी दास्तां कहते-कहते सो गए उस चिरनिद्रा में जिसमें पलकें फिर नहीं खुलती वह आगे जो सिर्फ सपने नहीं देखती थी उन्हें हकीकत के जमीन पर गिरने का हुनर सिखाते थेवह हमेशा के लिए बंद हो गए पर सपनों की उड़ान आखरी सांस तक नहीं थमी उड़ान एक लफ्ज़ में कहें तो यही कलाम साहब के जिंदगी का फ़लसफ़ा था साइंस से लेकर सपने तक का एक ही व्याख्यान तुम जैसे सपने देखोगे वैसे ही बन जाओगे शुरुआत होती है सपनों की इसी उड़ान से जानने की यह जिज्ञासा से जो आगे चलकर विज्ञान की उड़ान को नई दिशा देने वाली थी वह उड़ान थी चिड़ियों की तब पांचवी क्लास में पढ़ते थे अब्दुल कलाम आसमान में चिड़ियों को उड़ते देखना उन्हें खूब भाता था एक दिन क्लास में टीचर से पूछ बैठे आखिर यह चिड़िया उड़ती कैसे है सवाल बहुत सहज था हर किसी के मन में उठता है मगर इसका जवाब कोई नहीं दे पाएगा वह टीचर थे सुब्रमण्यम अय्यर जिनका जिक्र कलाम साहब अक्सर करते थे एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आने की की प्रेरणा उन्हें वही बताते थे कलाम साहब के मुताबिक उनके सवाल का जवाब समझाने के लिए सुब्रमण्यम पूरी क्लास के बच्चों को समुद्र के किनारे ले गए और उड़ते हुए पक्षियों को दिखाकर पूरी तकनीक
बताएं इसके पीछे पक्षियों की शरीर की बनावट भी विस्तार से बताएं 10 दिन सिर्फ अपने सवाल का जवाब नहीं मिला बल्कि मासूम आंखों को एक सपना भी मिल गया उड़ान का सम्मोहन उनके जिंदगी में हमेशा हमेशा के लिए बस गया लेकिन वह सपना सच कैसे होता हालात तो ऐसे थे कि पतंग भी बड़ी मुश्किल से उड़ाने को मिलती थी सात भाई बहनों में अपने मां-बाप के दुलारे तो बहुत तेज अब्दुल कलाम लेकिन घर की माली हालत ऐसी दो वक्त के खाने की भी चिंता रोज रहती नन्हे कलाम को रोटियां खाना बेहद पसंद था जबकि उस इलाके में चावल की फसल ज्यादा होती थी लेकिन मां उनके लिए दो रोटियों का इंतजाम रोज कर देती एक दिन मैंने अपने हिस्से की रोटी उन्हें परोसती अब्दुल कलाम को यह बात भाई से पता चली तो बेहद भावुक हुए मां से पहले खाना होने फिर भी गवारा नहीं हुआ 10:00 12 साल के होते होते अब्दुल कलाम को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास पूरा हो गया था पिता जैनुल अब्दुल पेशे से नाविक थे रामेश्वरम आने जाने वाले तीर्थ यात्रियों को नाव किराए पर देते थे लेकिन चक्रवात में वह नाव भी टूट गई पढ़ाई जारी रखने के साथ घर मैं कैसे बने रहे इसके लिए साइकिल से अखबार बेचते थे इसी दौरान वह पूरा अखबार भी पड़ जाते पढ़ने की ललक इतनी कि रोज सुबह 4:00 बजे ही उठ जाते और नहाकर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाते सुबह सुबह ना आने की वजह यह थी गणित के शिक्षक उन्हें 5 बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे जो सुबह 4:00 बजे नहा कर आते थे 5:00 बजे ट्यूशन से लौटने के बाद अब्दुल कलाम घर से 3 किलोमीटर दूर धनुषकोडी रेलवे स्टेशन जाते वहां से अखबार ले आते और घूम घूम कर बेचते अखबार बेचने के बाद तैयार होकर स्कूल जाते शाम को लौटते अखबार के पैसों की वसूली के लिए जाते थकान को कभी अपने सपनों के आगे आने ही नहीं दिया जब मैं घर घर अखबार बैठकर वापस आता था तो मां के हाथ का नाश्ता तैयार मिलता पढ़ाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी मां ने मेरे लिए एक छोटा सा लैंप खरीदा था जिससे मैं रात को 11:00 बजे तक पड़ सकता था पढ़ाई के साथ पक्षियों की उड़ान से जगह सतना हमें हमेशा युवा अब्दुल कलाम मैं करता रहा सब वही एयर फोर्स में भर्ती होना चाहते थे ख्वाहिश थी पायलट बनने ने की लेकिन यह पूरी नहीं हुई भर्ती 8 लोगों की होनी थी लेकिन टेस्ट में अब्दुल कलाम का नंबर नवा आया सपना पूरा नहीं हुआ मगर उस नाकामयाबी के बाद भी उड़ान का जोश दोगुना हो गया आप की पीढ़ी से पूछिएगा तो कहेगा जी सपने तो देखने चाहिए लेकिन कलाम साहब कहते थे कि सपना वह नहीं जो नींद में आए बल्कि सपना तो वह है जो कि नींद ही ना आने दे युवा अब्दुल कलाम का सपना नींद का सपना नहीं जबकि जागती आंखों का सपना था एक ऐसा सच जिसके लिए संघर्ष चाहिए
पढ़ाई विज्ञान की लगन सब कुछ चाहिए मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी 3 रात तक जग कर अपनी विशेष पूरी करें ताकि उन्हें स्कॉलरशिप मिल सके स्थिति इतनी बार नहीं हैडिग्री मिली तो उसके बाद स्पेस साइंस की दिशा में बढ़ते हुए पर सवाल इतना भर नहीं है आसमान सामने खड़ा था लेकिन पांव जमीन से हिल नहीं रहे थे डॉक्टर कलाम का मतलब यही था बारिश में सभी चिड़िया बसेरा ढूंढती है फिल्म अकड़बाज पानी से बचने के लिए बादलों के ऊपर उड़ान भरता है कलाम साहब के फितरत में कुछ ही उपस्तिथि कुदरत विज्ञान की बुलंदियां इन्हीं दलीलों से हासिल की गई हौसले की उड़ान कुछ ऐसे ही तय की गई देश के पहले स्पेस लॉन्च वेहिकल से लेकर परमाणु परीक्षण और 5000 किलोमीटर की दूरी तक मार करने वाली अग्नि मिसाइल तक कामयाबी आप तमाम है कलाम के पेशाब के नाम मगर इन्हें हासिल करने का जज्बा इंसानियत इच्छाशक्ति कि मिसाल बन गया शुरुआत होती है 1960 से जब युवा सपनों को आकार देने के लिए अब्दुल कलाम दिल्ली आए और रक्षा मंत्रालय के तकनीकीविकास और अनुसंधान विभाग जयपुर वरिष्ठ वैज्ञानिक का कार्यभार संभाला इस दौरान उन्होंने सेना के लिए छोटा हेलीकॉप्टर डिजाइन किया सुपर सोनिक लक्ष्य सैनिक विमान का ढांचा तैयार किया सपनों की उड़ान 1969 में नया मोड़ लेती है जब अब्दुल कलाम शिशुओं में देश के पहले स्पेस प्रोजेक्ट के लिए डायरेक्टर बनाकर भेजे गए तब अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान नया नया ही बना था अब्दुल कलाम के साथ तमाम वैज्ञानिक रॉकेट और प्रोजेक्ट के दूसरे सामान साइकिल और बैलगाड़ियों से ले जाते थे 70 के पुरे दशक में सपनों के लिए संघर्ष कुछ ऐसे ही चला राजा रमन्ना जैसे सीनियर के साथ वह पहले परमाणु परीक्षण के गवाह बने देश के पहले बैलिस्टिक मिसाइल प्रोजेक्ट के को डायरेक्ट किया कामयाबी की पहली उड़ान 1980 में भरी जब रोहिणी नाम का सेटेलाइट धरती की कक्षा के करीब विस्थापित कर दिया कलाम साहब की इस कामयाबी से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी खासकर प्रभावित हुए निखिल एडवांस और प्राइवेट प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ कहा जाता है कैबिनेट ने उस प्रोजेक्ट को मंजूरी नहीं दी लेकिन इंदिरा गांधी ने अब्दुल कलाम के मिसाइल प्रोजेक्ट के लिए सीक्रेट फंड का इंतजाम किया आज के अग्नि और समस्त जैसी मिसाइल उसी बुनियाद पर हिंदुस्तान का परचम लहरा देती है और दुनिया 11 और 13 मई सन 1998 का दिन कैसे भूल सकती है जब तमाम बंदिशों अमेरिका जैसे देशों के जासूसी सेटेलाइट के निगरानी के बावजूद भारत पोखरण में परमाणु टेस्ट करने मैं कामयाब रहा यह कलाम साहब के लिए काबिलियत थी दुनिया को इसकी भनक तक नहीं लगी तब कलाम साहब प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार थे हालांकि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने उन्हें मंत्री बनने का ऑफर दिया था लेकिन कलाम साहब ने मना कर दिया उनकी सूचना तो देश को परमाणु ताकत के आधुनिक पहेलियों से लैस करने की थी मार्च 1998 में वह पूरे प्रोजेक्ट के साथ उनसे मिले और न्यूक्लियर मिसाइल के बारे में जानने काली हुई उसी मुलाकात में परमाणु परीक्षण को मंजूरी मिल गई प्रोजेक्ट का नाम दिया गया ऑपरेशन शक्ति कलाम का कोड नेम रखा गया मेजर पृथ्वीराज टेस्ट की तैयारी के साथ एक चुनौती और भी थी
अमेरिकी सैटेलाइट को फलक नहीं लगने देने की इसके लिए कलाम साहब अपनी टीम के साथ रात में काम करते पोखरण सैटेलाइट पर आने जाने के लिए अलग रास्तों का इस्तेमाल किया करते टेस्ट से पहले अमेरिका के जासूसी उपग्रह को गुमराह करने के लिए पोकरण से दूर इलाके में सेना की गतिविधियां बर्बादी ताकि जासूसी के ग्रहों का ध्यान उस तरफ चला जाए 11 मई को पहले टेस्ट और 13 मई को तीन और टेस्ट वह दुनिया को भनक तक नहीं लगी और जब लगी तब तक कलाम पूरे हिंदुस्तान की परमाणु शक्ति के नायक बन चुके थेरविंद्र नाथ टैगोर थे जिन्होंने महात्मा गांधी को महात्मा सबसे अलंकृत किया था लेकिन इस दौर में आप किस शब्द के साथ डॉक्टर कलाम का नाम जोड़ेंगे वह आप लोग ही तेज कीजिए लेकिन कामयाबियां उनके पीछे थे एक के बाद एक बढ़ती चली गई लेकिन के पास क्या था ना घर ना अपनी खरीदी गई जमीन ना कोई गाड़ी राष्ट्रपति बनने के बाद जो भी था वह दान में दे दिया दो सूटकेस के साथ राष्ट्रपति भवन आए थे और यूं ही चले गए देश के संविधानिक प्रमुख रहे शख्स के चिंता संबंधी में सादगी की मिसाल किस रूप में कैसे चलती चली गई देखिए जरा हिंदुस्तान की सामरिक ताकत और अंतरिक्ष में तकनीकी उड़ान के नायक अब्दुल कलाम जब देश के राष्ट्रपति बने तब चर्चा एक ही थी मिसाइल मैन की सादगी देश के लिए समर्थन तो दुनिया पहले ही देख चुकी थी सुर्खियों में 3 साल की वह सादगी उनकी पूरी शख्सियत में लिख दी थी मगर यह कहानी तब शायद ही किसी को पता चले जब राष्ट्रपति बने तो दो सूटकेस लेकर राष्ट्रपति भवन में आए थे
Comments
Post a Comment