Fail karne wale pass karne walo se aage kyu hai

हमारे समाज में ज्यादातर लोगों के मन में यह बात बैठी हुई है कि आप कितने बुद्धिमान हो तो उतने ही हमसफ़र बनोगे आपके कॉलेज और स्कूल में यही होता है है ना लोगों को लगता है वही सक्सेसफुल होगा पर क्या यह सच है इस आर्टिकल को लास्ट तक नहीं पढ़ोगे तो इस आर्टिकल का गलत मतलब निकाल ले गए इसलिए अंत तक जरूर पढ़ें आप के लिए यह जानना बहुत जरूरी है क्योंकि यह आर्टिकल आपके अभी सीमित सोच को बदल कर आपकी जिंदगी बदलने वाली है यह जो सवाल मुझे और आपको परेशान करती है ना कि क्या जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए 99% लाना जरूरी है ठीक है सलमान ठीक यही सवाल सन 1920 के समय में महान साइकोलॉजिस्ट जिनिंग मनोवैज्ञानिक बोधिधर्मन के मन में भी आए थे और तब उन्होंने ठान लिया था अब मैं इस सवाल का जवाब पता लगा कर ही रहूंगा उन्होंने इसी बात का पता लगाने के लिए एक एक्सपेरिमेंट किया यह अजीब अध्ययन करीब 40 साल तक चला और यह साइक्लोजिस्ट यानी मनोविज्ञान का सबसे बड़ा ध्यान स्टडी है और यह 40 साल का हिसाब किताब आपको बस एक छोटी सी आर्टिकल में मिल रही है बहुत लकी हो आप
उन्होंने अमेरिका के सभी कॉलेजेस स्कूल से सबसे इंटेलिजेंट बच्चों को ढूंढना शुरू कर दिया खोज के अंत में लगभग ढाई लाख बच्चे पूरे अमेरिका से निकले इतने सारे बच्चों पर ध्यान करना संभव नहीं था और यह स्कूल ने भेजा था तो बोधिधर्मन स्कूल की बातों पर भरोसा नहीं कर सकते थे और यह सभी को नहीं ले सकते थे इसलिए उन्होंने सारे ढाई लाख बच्चों का आईक्यू टेस्ट लिया आई क्यू टेस्ट एक तरह का टेस्ट होता है जिसमें आपको अलग-अलग सवालों का जवाब देना पड़ता है उन सवालों में से आप जितने सवाल का सही जवाब दोगे उससे आपकी बुद्धि का पता चलता है बोधिधर्मन ने यह कहा था कि जिन जिन बच्चों का आईक्यू लेवल 140 या उससे ऊपर आएगी उन्हें स्टूडेंट को बुद्धिमान माना जाएगा तो अंग्रेजी आनी सामान्य आए क्यों वह होती है 90 से 109 के बीच इस दुनिया में ज्यादातर लोगों की आएगी 90 से 109 के बीच में ही होती है जिसे हम सीधी भाषा में एवरेज स्टूडेंट कहते हैं जिनकी ITI 140 से ज्यादा होती है उन्हें बहुत बुद्धिमान माना जाता है और जिनकी आईक्यू 160 से ऊपर होती है वह जीनियस होते हैं वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन की आईक्यू 160 मानी जाती है तो उन्होंने उन डायलॉग बच्चों में से उन बच्चों को घर भेज दिया जिनकी आईक्यू जिनके आईक्यू 140 से नीचे थी और आपको यह जानकर हैरानी होगी की ढाई लाख विद्यार्थियों में से सिर्फ 1528 स्टूडेंट ही बचे आईक्यू टेस्ट के हिसाब से यह 1528 स्टूडेंट पूरे अमेरिका के सबसे सबसे ज्यादा बुद्धिमान बच्चे थे और इनकी आईक्यू अल्बर्ट आइंस्टाइन से 20 पॉइंट कम थी इन 1528 बच्चों को चुन लिया गया दशकों तक इन स्टूडेंट को ऑफ सर्वे किया गया और सबको वही देखने को मिला जो यह सोचे थे यह लोग हर क्लास में टॉप करते थे हर सब्जेक्ट में सबसे ज्यादा मार्क्स लाते थे हर कॉन्पिटिशन में जीतते थे मतलब अपनी पढ़ाई वाली एकेडमी लाइफ में तो यह राजा थे पर बड़ा सवाल जो बौद्ध धर्मन के दिमाग में अभी भी चल रहा था वह यह है कि क्या यह अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा कर पाएंगे पर यही स्कूल की लाइफ के सफलता को देखकर बौद्ध धर्म को ऐसा लगा कि यह जीनियस बच्चे अपनी जिंदगी में जरूर कुछ बड़ा कर लेंगे उन्होंने कहा यह स्टूडेंट है जो अमेरिका का भविष्य है और यही बच्चे सबसे ज्यादा सफलता हासिल करेंगे अपनी जिंदगी में पर पर पर शायद आपको आभास होने लगा होगा कि मैं क्या लिखने वाला हूं बहुत धनवान की सोच और उनकी उम्मीद वास्तविकता से बहुत अलग निकली 1528 स्टूडेंट मैसेज देसी स्टूडेंट अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा कर पाए और करोड़पति बनता है बाकी जीनियस सैंपल जॉब करते रहे और जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं कर पाए सबसे बड़े और अच्छे कॉलेज में की डिग्री के बाद भी वह अपनी जिंदगी में ना ही कुछ बड़ा हासिल कर पाए और ना ही को अपनी जिंदगी में खुशइन फैक्ट दो लड़के जिनकी आईक्यू 100 से भी कम थी जिनको निकाल दिया गया था उन लोगों ने नोबेल प्राइज भी जीता वह भी फिजिक्स में लगभग 40 साल बाद बौद्ध धर्म ने यह कहा हमें यह पता चला की बुद्धि और सफलता का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है स्मार्ट और बुद्धिमान बनना एक चीज होती है और जिंदगी में सफल बनाना दूसरी चीज आपके दोस्त के मार्क्स सबसे ज्यादा आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप अपनी जिंदगी में सफल नहीं होंगे हां ऐसा महसूस जरूर होता हैकि वह आप से ऊपर है पर कब तक बस स्कूल या कॉलेज लाइफ तक उसके बाद क्या लोगों ने ऐसे माइंड सेट का वायरस फैला रखा है जिससे पूरे समाज को यह लगता है कि जिनके ज्यादा मार्क्स आते हैं वही जिंदगी में कुछ बड़ा कर सकते हैं माक्स माक्स माक्स हर जगह मार्क्स की लूट मची है अपने आप को इस बात से मत बांधो आपके पास काम आते हैं या फिर दूसरों से कम स्मार्ट हो तो इसका मतलब आप आगे जाकर कुछ नहीं कर पाओगे आप अपने आप को पहचानो हो सकता है कि आप की टैलेंट जिंदगी की कोई और फिल्में हो कौन जानता है किसे पता है यह भी हो सकता है कि आप आगे जाकर करोड़पति बन जाओ इस समाज में मार्क्स और बुद्धि को ओवर रेट कर दिया गया है उमरेड मतलब जितना इन चीजों को भाव मिलना चाहिए उससे कई ज्यादा इन चीजों को भाव मिल रहा है मेहनत से आप कुछ भी पा सकते हो ऐसा हमेशा क्यों होता है के जितने बड़े-बड़े लोग हैं जैसे एलियंस मार्क्स एलन Max मार्क जकरबर्ग यह लोग डिग्री को इतना कम भाव क्यों देते हैं और यह शायद शायद आपको पता ना हो पर दुनिया की ऐसी कंपनीज जिसमें अगर आपको कोई जॉब मिल जाए जिससे आपकी जिंदगी स्वर्ग बन जाए जो है Google और Facebook यह लोग लोगों को डिग्री के बेस पर नौकरी नहीं देते यह उनकी अलग तरीके से टेस्ट लेती है जिसमें मार्क्स की वैल्यू जीरो होती है वह यह देखते हैं कि आपकी प्रेजेंटेशन स्कूल कैसी है आप किसी चीज को कितने अच्छे तरीके से समझा सकते हो अगर कोई टॉपर है जो बचपन से ही अपने दिमाग में ज्ञान भरे जा रहा है भरे जा रहा है भरे जा रहा है अपने फायदे के लिए उसका क्या फायदा अगर उस ज्ञान को किसी और को दे ना पाए अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा थाकोई चीज मुझे आती है और अगर मैं आपको समझा ना पाऊं क्या फायदा मेरे इस दुनिया में होने का अगर आपके पास डिग्री नहीं है फिर भी आपके अंदर मोटिवेशन भरा हुआ है आपके अंदर कोई अलग टैलेंट है तो Google आप को हायर कर लेगा हां Google और Facebook डिग्री वालों को भी नौकरी देती है पर बिना डिग्री वालों को ज्यादा देती है क्योंकि Google को यह पता है कि कॉलेज के यह कैरेक्टर्स ए प्लस बी सी डी यह सब मैटर नहीं करती मैटर करती है तो वह आपके अंदर कि वह टैलेंट Google को यह पता है कि सबके अंदर अलग-अलग प्रतिभा होती है ऐसा काम जो आपसे अच्छा और कोई नहीं कर सकता जो आपके अंदर जन्म से ही है उस चीज को आप को कोई डिग्री नहीं दे सकता उस चीज को फाइंड करो तो सफलता आपके कदम चूमेगी सफल लोग हमेशा अलग-अलग चीजों को ट्राई करने की सोचते हैं वह सिक्योरिटी नहीं ढूंढते अगर आप अपने लाइफ में सेट होना चाहते हैं ना कभी भी दिल को अनुभव नहीं कर पाते जैसे ज्यादातर पेरेंट्स यह कहते हैं कि मेरा बेटा अच्छे से पड़ेगा इसके मार्क्स अच्छे आएंगे और इसे एक से एक एक सुरक्षित गवर्नमेंट जॉब मिल जाएगा हां हो सकता है पर प्रॉब्लम यह है उससे ऊपर नहीं उठ पाओगे अगर अलग सोच होगी तो उससे आप ऊपर उठोगे यह मतलब नहीं कि डिग्री मत लो मार्क्स मत लाओ अरे लाओ फुल मार्क्स लाओ हॉट शॉट 200 डिग्री अपने पास रखो पर उसके आगे क्या है उसे भी तो देखो मतलब यही कि जिंदगी में मांस से भी ज्यादा बाकी चीजें मैटर करती है आप लोग ज्यादातर मार्क्स को ही सब बना देते हो पर बाकी चीजें जैसे कि कम्युनिकेशन स्किल्स बॉडी लैंग्वेज डेवलपमेंट इन सब चीजों को आप छोड़ देते हो जो कि अच्छी बात नहीं है मार्क्स तो सीमित दायरे में काम आएगी पर बाकी चीजें पूरी जिंदगी भर काम आएगी अगर आप एक टॉपर हो और आपके मार्क्स अच्छे आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि मैं आपकी बुराई कर रहा हूं पर मैं आपको यह बोल रहा हूं कि कि अपने मार्क्स के साथ-साथ अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स को बढ़ाओ और दूसरों से बातचीत कैसे करनी है उसे डेवलप करो जापान जैसे दुनिया की सबसे डेवलप देशों में से एक माना जाता है वहां के लोग अपनी बुद्धि और अपने अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं तो यह देश बाकी देशों से इतना अलग क्यों है वहां का एजुकेशन सिस्टम उनकी शिक्षा प्रणाली उनका मुख्य कारण वहां की शिक्षा प्रणाली बहुत अलग है जापान में जब तक कोई बच्चा क्लास फोर तक नहीं चाहता तब तक उन्हें किसी परीक्षा का सामना नहीं करना पड़ता क्लास 4:00 तक उन्हें उनकी जरूरत की बेसिक चीजों को समझाया जाता है बचपन से ही उन्हें वह सब चीजें सिखाई जाती है जो आप अभी सीखना चाहते हो जैसे कॉन्फिडेंस कैसे बढ़ाए अपने आत्मविश्वास को कैसे जगाए सेल्फ कंट्रोल आत्म संयम का ज्ञान दिया जाता है मैं अपने आर्टिकल्स में आपको सब कॉन्शस माइंड के बारे में सिखाता हूं आप को अंदर से मजबूत करता हूं आपको सामान्य चीजों को छोड़कर स्पीच वालिया ने की आध्यात्मिक ज्ञान को एक नए अंदाज में पेश करता हूं ताकि आप अभी सीमित दायरे में सोचते हो उससे आगे निकल पाऊं तो सोचो अगर यह सब ज्ञान स्कूल में दिया जाता तो कितना अच्छा होता दोस्त अपने अंदर की बाकी चीजों को डेवलप करो जो डिग्री वाले होंगे ना उसे आप अपनी कंपनी में जॉब दोगे तो फाइनल बात यह है की फुल मार्क्स आर्थिक रेट्स और आपके आगे की जिंदगी की सफलता इन दोनों का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है मार्क्स आपका भविष्य तय नहीं करते सिर्फ मार्क्स के लिए अपनी जिंदगी से उम्मीद मत छोड़ो आपका फ्यूचर अभी भी ब्राइट है आज के लिए इतना ही दोस्तों अब मैं आपके लिए कुछ और अच्छी चीजें लाऊंगा जिससे आपके जिंदगी में कुछ बदलाव आए

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