McDonald's success story
दोस्तों आज मैं बात करने जा रहा हूं विश्व के दूसरी सबसे बड़ी फास्ट फूड रेस्टोरेंट मैकडोनाल्ड के जिसके आउटलेट्स पूरे विश्व में 119 से भी ज्यादा देशों में फैले हुए हैं यह कंपनी हर दिन एक करोड़ बढ़कर बेचती है और 7000000 लोग इसे दिल्ली विजिट करते हैं दोस्तों कंपनी का प्रॉफिट आज के समय में हर बॉल पर है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी इतनी बड़ी कंपनी कैलिफोर्निया के एक छोटे से रेस्टोरेंट से स्टार्ट हुई थी जिसे रिजल्ट और म्क्दोनाल्ड्स नाम के दो भाइयों ने मिलकर 1940 में शुरू किया था लेकिन मैंने उसकी सफलता का पूरा श्रेय रेट ऑफ हो जाता है जो 1955 में इस कंपनी से जुड़े थे और जुड़ने के बाद उन्होंने कंपनी को शिखर पर पहुंचा दिया तो इस सक्सेस स्टोरी को अच्छे से समझने के लिए सबसे पहले हमें एक रोग के बारे में जानना होगा तो चलिए शुरू करते हैं अरे करो ना जानू 5 अक्टूबर 1910 को अमेरिका के किस राज्य में पार्थ नाम की जगह पर हुआ था वह बहुत ही गरीब परिवार में पैदा हुए थे इसीलिए 15 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी डेट ऑफ बर्थ को बदल दिया और पहले विश्व युद्ध के समय रे क्रोक एंबुलेंस के ड्राइवर बन गए लेकिन विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद ही उन्हें ड्राइवर का जॉब छोड़ना पड़ा और फिर उन्होंने पेपर के क्लासेस बेचना शुरू किया कुछ सालों तक सेल्स का काम करने के बाद क्लॉक ने एक लोकल रेडियो स्टेशन में पियानो बजाने का भी काम किया और ऐसे ही अलग अलग काम करते हुए उन्होंने अपने जीवन के लगभग 25 साल बिताए दूसरा विश्व युद्ध खत्म होने के बाद रोकने रेस्टोरेंट को मिलकर मिल्क शेक मशीन बनाने की बात क्या और कुछ सालों तक मशीनें बेचने के बाद उन्होंने अपने सेल्स को एनालाइज किया तो देखा कि कैलिफोर्निया की एक अकेली रेस्टोरेंट में उनकी सबसे ज्यादा 6 महीने खरीदी है क्रॉप उस रेस्टोरेंट से बहुत ही प्रभावित थे और मैं उसे विजिट करने के लिए कैलिफ़ोर्निया आए जहां उन्होंने देखा कि एक छोटे से रेस्टोरेंट होने के बावजूद ग्राहकों की वहां पर बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी दोस्तों से क्लॉक अपने मिल्कशेक की मशीन भेजने के लिए अमेरिका के बहुत सारे रेस्टोरेंट पर गए हुए थे लेकिन उन्होंने ऐसी भीड़ कभी भी नहीं देखी थी रोकने लाइन में खड़े एक आदमी से पूछा कि आखिर इस रेस्टोरेंट में खास क्या है और यहां पर इतनी भीड़ क्यों लगी हुई है तो उस आदमी ने कहा के यहां आपको सबसे अच्छा बर्गर सिर्फ 15 सेंट में मिलेगा और आपको आर्डर की डिलीवरी के लिए ज्यादा समय भी नहीं देना पड़ेगा रेट्रो को मेंटेनेंस ब्रदर्स का कॉन्सर्ट बहुत ही अच्छा लगा और उन्होंने और विदेश में जाकर उस रेस्टोरेंट के बारे में पता किया तोतो उन्हें पता चला कि रिचार्ज और मोरिस मेंटेनेंस नाम के दो भाइयों ने मिलकर यह रेस्टोरेंट 1940 में शुरू किया था और तब यह कोई ज्यादा सफल नहीं था लेकिन 8 सालों के बाद 1948 में जब मेनू के आइटम्स को घटाकर मैंने कुछ लिमिटेड आइटम्स कर दिया और उन्हें सिर्फ चार या पांच आइटम्स फाइल उन्होंने अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर दिया तभी से उन्हें सफलता मिलनी शुरु हो गई उन्होंने अपने बर्गर और अपने फास्ट फूड को बनाने के लिए मशीनों का प्रयोग करना भी शुरू कर दिया था जिससे लोगों का बहुत समय बचता था और इसीलिए वहां का सबसे पसंदीदा रेस्टोरेंट बन गया था इन सभी बातों को जानने के बाद रे क्रोक मैकडॉनल्ड्स ब्रदर से मिलकर खुद के लिए उस रेस्टोरेंट से फ्रेंचाइजी लेने की बात कही औरतें मेंटेनेंस ब्रदर्स मूवी ग्रुप की बात मान ली और और अपना एक फ्रेंड चाहिए उन्हें बेच दिया रेप रोकने 15 अप्रैल 1955 को ग्रीन हाउस के देश प्लेनस के नाम के शहर में अपना पहला मैकडॉनल्ड्स का ब्रांच खोला और देखते ही देखते कुछ ही दिनों में उनके अच्छे सर्वेश कंप्रेसर और तेज डिलीवरी के वजह से वह रेस्टोरेंट धड़ल्ले से चल पड़ा और क्लॉक के पास भी बहुत पैसे हो गए उसके बाद क्लॉक ने और भी फ्रेंचाइजी मैकडॉनल्ड्स ब्रदर से बांटने की बात की जिससे और भी शहरों में मैकडॉनल्ड्स फैलाया जा सके लेकिन मैकडोनाल्ड्स ब्रदर्स ने यह कह कर मना कर दिया कि उनके पास जितने पैसे हैं वह काफी है और वह और काम नहीं करना चाहते उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें रेस्टोरेंट की चैन को बढ़ाने का इतना ही शौक है तो तुम इस कंपनी को खरीद लो और अपने मनमुताबिक काम करो ब्लैक रॉक को मैकडोनाल्ड रेस्टोरेंट में अपना उज्जवल भविष्य दिखाई दे रहा था और इसीलिए उन्होंने कुछ सालों तक पैसे इकट्ठे करने के बाद 1961 में कंपनी को 2 पॉइंट 7 मिलियन डॉलर और हर साल फायदे का 1.9% रॉयल्टी देखकर खरीद लिया फिर क्या था करो की लगन मेहनत और अच्छी सर्विस की वजह से उनकी रेस्टोरेंट तेजी से फैल गई उन्होंने अपने देश के साथ 7:00 दूसरे देशों में भी मैकडॉनल्ड्स फ्रेंचाइजी लिए और एक स्टैंडर्ड तैयार कर दिया जिस पर सभी रेस्टोरेंट को काम करना होता था 1983 में अपनी मृत्यु के पहले तक रे क्रोक ने अपने अपनी कंपनी की फ्रेंचाइजी को 31 देशों में फैला दिया था भारत में मैकडॉनल्ड्स का पहला ब्रांच 13 अक्टूबर 1996 को वसंत विहार नई दिल्ली में खोला गया था दोस्तों एक गरीब घर के लड़के ने अपने लगन मेहनत और असफलताओं से सीख लेते हुए यह दिखा दिया कि अगर आपके अंदर कुछ करने का जुनून है तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं
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