Ritesh agrawal owner of oyo rooms story

यह कहानी है एक ऐसी लड़की थी जिसने 21 साल 307 करोड रुपए की कंपनी खड़ी कर दी 21 साल की एज में बहुत से लोग कॉलेज में होते हैं या किसी जॉब की तलाश में होते हैं लेकिन रितेश अग्रवाल ने यह साबित कर दिया के स्टार्टर की कोई हद नहीं होती वह रोज 16 घंटे काम करते थे उड़ीसा के रितेश अग्रवाल ने इतनी कम उम्र में ओयो रूम्स की शुरुआत कर बड़े-बड़े एक्सपीरियंस इंटरनल को भी आश्चर्यचकित कर दिया रितेश की इच्छा आई ITI में एडमिशन लेने की हुई जिस की तैयारी करते वक्त कोटा है कोटा में पढ़ाई के साथ में जब भी हॉलीडेज हो होती थी खुद ट्रैवल करते थे यही उनकी ट्रेवल में इंटरेस्ट बढ़ने लगा और आगे जाकर बहुत फायदेमंद हुआ कोटा में ही उन्होंने एक बुक लिखी थी इंडियन इंजीनियरिंग कॉलेजेस कंपलीट इनसाइक्लोपीडिया ऑफ टॉप 100 इंजीनियरिंग कॉलेजेस Facebook को Flipkart पर बहुत पसंद किया गया 16 साल की एज में उनका सिलेक्शन मुंबई स्टेट इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आईआरएस में आयोजित एशियन साइंस कैंप के लिए क्या गया यहां भी वह हॉलीडेज में खूब ट्रैवल करते थे और कई सस्ते दामों की होटल में रुकते थे रितेश को पहले से ही बिजनेस में इंटरेस्ट था लेकिन हमको कोई आईडिया नहीं मिल रहा था ट्रैवलिंग के वक्त ठहरने के लिए सस्ते होटल के बारे में उन्होंने अपने एक्सपीरियंस के साथ अपने बिजनेस का रूप लेने का सोचा उनको यहां एक Idea मिला उनको लगा कि यहां से स्टार्ट किया जा सकता है मेरी तरह ना जाने कितने लोग सेम प्रॉब्लम फेस कर रहे होंगे यहीं से स्टार्ट अप की मीनिंग होती है किसी स्टार्टअप का हल निकालना 2012 में उन्होंने फर्स्ट स्टेटस बोरवेल स्टेज की शुरुआत की जिसका एक था कम समय लिए कम प्राइस मैं रूम्स को अवेलेबल कराना जिसको कोई भी इसलिए ऑनलाइन रिजल्ट कर सकता था काफी कम समय में रितेश अग्रवाल को अपने स्टेटस में सक्सेस मिली और उन्हें नर्सरी कंपनी से 3000000 का फंड भी मिल गया था और बाहर की और ध्यान से काम करने लगे लेकिन पता नहीं क्यों उनका यह बिजनेस मॉडल जितनी उम्मीद करी थी उतनी प्रॉफिट देने में सक्सेस नहीं रहा और ऑपरेशन स्टेज घाटे में चला गया और एंड में कंपनी को बंद करना पड़ा लेकिन वह प्रसन्न रुका नहीं उन्होंने देखा कि कहां कमी रह गई है उन्होंने दोबारा इस Idea पर काम करने की सोची हरिवंश राय बच्चन जी ने अपनी कविता में कहा था कि आप असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई है देखो और सुधार करो जब रितेश अग्रवाल कमियों के बारे में सोचने लगे तब उन्हें अपने एक्सपीरियंस है उन्हें यह बात पता लगी कि इंडिया में कम प्राइस में मिलना या ना मिलना कोई प्रॉब्लम नहीं है एक्चुअली कमी है होटल के कम प्राइस में बेहतरीन फैसिलिटीज को प्रोवाइड ना करा पाना उनको अपने ट्रेवल वाले एक्सपीरियंस याद आएगी कैसे उन्हें कई ज्यादा प्राइस देने के बाद भी गंदे और बदबूदार कमरे मिलते थे कभी-कभी कम प्राइस में भी आरामदायक हूं पर टेबल राइस मिल जाया करते थे इन सब बातों ने रितेश अग्रवाल को इंस्पायर किया और गया और इस स्टेज में कुछ बदलाव करें जो कमियां थी उसे दूर करे और 2013 में ओयो रूम्स को लांच किया जिसका मतलब था आपके अपने कमरे इस बार रितेश अग्रवाल की मेहनत रंग लाई और सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा वह चाहते थे कम प्राइस में बेहतरीन फैसिलिटीज के साथ में ट्रैवलर्स को यह सेवा बहुत पसंद आने लगी धीरे-धीरे एंप्लाइज की संख्या को 1525 कर दे और आज के वक्त में आयो रूम्स कंपनी कंपनी इसमें 1500 से भी ज्यादा एंप्लाइज कल काम करते हैं कंपनी के स्टाफ लिस्ट होने के 1 साल बाद 2014 में दो बड़ी कंपनी लाइट spider-man 4 पार्टनर्स एंड एसबीपी और कंस्यूमर पार्टनर्स ने वो रूम्स में चार करोड़ रुपए का इन्वेस्ट किया और 2016 में जापान की मल्टीनेशनल कंपनी में भी ₹7 का भी इन्वेस्ट किया जो किसी न्यू कंपनी के लिए बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट होता है हर महीने 10000000 रुपए से भी ज्यादा रुपए की बुकिंग होने लगी 2 साल में सिर्फ 2 साल में जो रूम्स 15000 से भी ज्यादा होटल्स यानी 1000000 रूम्स कर दे जो किसी देश के लिए सबसे बड़ी बात है जो लोगों को रूम प्रोवाइड करवाने वाली कंपनी बन चुकी थी ओयो रूम्स आज इंडिया की टॉप स्टार्टअप कंपनी में से एक है और मलेशिया में भी अपनी सेवा शुरू कर दिया है और आने वाले टाइम में और विदेशों में अपनी पहुंच बनाने जा रही है एक टाइम था जब रितेश अग्रवाल को सस्ते दामों में रोशनी प्रॉब्लम को फेस करनी पड़ती थी आज इंडिया ही नहीं दूसरे देशों के लोगों को भी आरामदायक रूम दे रहे हैं और बहुत प्राउड होता है किसी इंडियन को इस तरह से सक्सेसफुल स्टार्ट करते हुए देखना

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